वह अकेली थी
वह अकेली थी
और सड़क थी सुनसान…
उसके हाथों में था स्कूटी का हैंडल
और आंखों में घर पहुंचने की चाहत
कुछ ही दूर थी उसकी मंजिल
पर वह पहुंच ना सकी
बीच सड़क पर स्कूटी हुई बंद
और उसकी सांसे हो गई मंद
 
 
 
घबराई सी!!
वह पहुंची मदद की आस में
कुछ लोगों के पास
उन दरिंदों ने लूटी उसकी इस्मत
और किया उसकी जिंदगी का नाश…
 
वह अकेली थी
और सड़क थी सुनसान…
खूबसूरत थी उसकी जिंदगी
अचानक से! हो गई वीरान…
फिर न्याय के दरवाजे पर लगाई उसने गुहार
न्याय के रख वालों ने सुनी उसकी पुकार
पूरा न्यायालय रो उठा सुन उसकी चीतकार…
और लगाई उन दरिंदों को जोर की फटकार
न्याय की देवी ने दी उन्हें कठोर सज़ा
पर क्या यही थी उस लड़की की भी रज़ा?
नहीं!! क्योंकि उसे चाहिए था इंसाफ
और एक स्वच्छ साफ समाज

 

वह अकेली ही लड़ रही इस कुरीति से

थोड़ी सीख हम भी ले ले उसकी आपबीती से

बस थोड़ी मेहनत और थोड़ी लगन वह हमसे मांगती

बदल जाएगा यह समाज बखूबी है वह जानती

बखूबी है वह जानती;

बखूबी है वह जानती|

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